राज्य निर्वाचन आयोग 2024: राज्य निर्वाचन आयोग का गठन एवं कार्य क्या हैं

राज्य निर्वाचन आयोग (State Election Commission) एक संवैधानिक निकाय हैं। इसे भारत के संविधान में संशोधन करके निर्वाचन संबंधित कार्यों को करने हेतु गठित किया गया हैं। यह आयोग केवल पंचायत (Panchayat) और नगर निकायों के चुनाव करवाने के लिए जिम्मेदार हैं। आपको बता दे कि राज्य निर्वाचन आयोग का सभी राज्यों के प्रांतीय विधानसभाओं के सदस्यों के निर्वाचन से कोई संबंध नहीं हैं इनके चुनाव भी केंद्रीय निर्वाचन आयोग द्वारा ही करवाया जाता हैं।

भारत एक लोकतांत्रिक देश हैं और इसके लिए देश में निष्पक्ष और स्वतंत्र चुनावों को कराना सबसे महत्वपूर्ण कार्य होता हैं। और देश की आजादी के बाद संविधान निर्माताओं ने संविधान के भाग 15 में ही एक केन्द्रीय निर्वाचन का प्रावधान किया। राष्ट्रिय स्तर पर निर्वाचन आयोग देश के राष्ट्रपति, उप-राष्ट्रपति, संसद सदस्यों के निर्वाचन, और सभी राज्यों की विधानसभाओं के सदस्यों का चुनाव करवाता हैं।

राज्य निर्वाचन आयोग के बारे में

यह एक संवैधानिक, स्वायत्त एवं अर्द्ध-न्यायिक निकाय हैं, जो देश में स्वतन्त्र और निष्पक्ष चुनाव कराने के लिए जिम्मेदार हैं। ये आयोग सभी राज्यों के स्थानीय निकायों (ग्राम पंचायत और नगर निकाय) के चुनाव करवाता हैं। इस आयोग को संवैधानिक आयोग जरुर बनाया गया हैं लेकिन यह शुरू से संविधान में नहीं था इसे संविधान संशोधन के द्वारा बनाया गया हैं।

राज्य निर्वाचन आयोग की चर्चा संविधान के अनुच्छेद 243(K) में की गयी हैं इसलिए राज्य निर्वाचन आयोग एक संवैधानिक संस्था हैं। इसका वर्णन संविधान में निति निर्देशक तत्वों में किया गया हैं।  इसीमें अनुच्छेद 40 में निर्देश दिया गया हैं कि “राज्य प्रयास करेगा की वह ग्राम पंचायतों का गठन करें”

राज्य निर्वाचन आयोग का गठन

आपको बता दे कि राज्य के निति निर्देशक तत्व भाग 4 में दिए गये हैं और यह सरकार के ऊपर लागु करने के लिए बाध्यकारी प्रावधान नहीं हैं। इन्हें राज्य अपनी क्षमता और समयानुकूल तरीके से लागु करने की कोशिश करेगा क्योंकि ये सभी राज्य के लक्ष्य हैं। इन्ही में राज्य को संविधान में निर्देश दिया गया हैं जिनके तहत राज्य निर्वाचन आयोगों का गठन सभी राज्यों में किया गया हैं।

अनुच्छेद-40 के तहत देश में स्थानीय निकायों (ग्राम पंचायत और नगर निकाय) का गठन किया गया और इनके चुनावों को कराने के लिए राज्य निर्वाचन आयोग का गठन हुआ। देश में लोकतान्त्रिक विकेंद्रीकरण के लिए स्थानीय निकायों का शासन की स्वतन्त्रता प्रदान करने के उद्देश्य से प्रत्येक राज्य में पंचायत (Panchayat) और नगर निकायों का गठन हुआ और इनके चुनाव के लिए राज्य निर्वाचन आयोग का गठन किया गया।

राज्य निर्वाचन आयोग का गठन

  • अनुच्छेद – 40 : राज्य, पंचायत और नगर निकायों का गठन करेगा।
  • 73वें संविधान संशोधन 1992 द्वारा संविधान में भाग – 9 जोड़ा गया – इसमें पंचायतों के गठन का प्रावधान किया गया।
  • 74वें संविधान संशोधन 1992 द्वारा संविधान में भाग – 9(क) जोड़ा गया – नगर निकायों का गठन (Municipal bodies).

अब इन निकायों के गठन के पश्चात इनके सदस्यों के चुनाव के लिए एक ऐसे स्वायत्त और स्वतंत्र निकाय की आवश्कता महसूस की गयी। अब ये दोनों कामों को करने के राज्यों को कहा गया कि इन दोनों निकायों के चुनाव करने के लिए संस्था बनानी होगी जिसे राज्य निर्वाचन आयोग कहा जायेगा।

  • अनुच्छेद – 243(K) : पंचायत (Panchayat) के चुनाव कराने के लिए राज्य निर्वाचन आयोग (State Election Commission) का गठन।
  • अनुच्छेद – 243(ZA) : नगर निकायों (Municipal bodies) के चुनाव कराने के लिए राज्य निर्वाचन आयोग (State Election Commission) का गठन।

संवैधानिक प्रावधान

अनुच्छेद – 243(K)(1) 

  • राज्य निर्वाचन आयोग का गठन
  • पंचायतों के निर्वाचन करवाना और एक निर्वाचक नामावली तैयार करना
  • राज्य चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति, राज्यपाल द्वारा की जाएगी।
  • राज्य चुनाव आयोग की संरचना – यह एक सदस्यीय आयोग हैं। (इसमें केवल एक राज्य चुनाव आयुक्त होता हैं)

अनुच्छेद – 243(K)(2)

  • राज्य चुनाव आयुक्त की सेवा शर्तें और त्याग-पत्र से सम्बन्धित नियमों को राज्यपाल द्वारा बनाया जायेगा।
  • सेवा शर्तों में नियुक्ति के बाद अलाभकारी परिवर्तन नहीं किया जा सकता।
  • हटाने की प्रक्रिया – उच्चन्यायालय के न्यायधीशों को हटाने की प्रक्रिया से ही राज्य चुनाव आयुक्त को भी हटाया जायेगा।

नोट: सेवा शर्तें, पदावधि और वेतन भत्तें, त्याग-पत्र से सम्बन्धित नियम सभी राज्यों में अलग-अलग होते हैं क्योंकि इसका निर्धारण राज्य के राज्यपाल द्वारा किया जाता हैं।

अनुच्छेद – 243(K)(3)

  • राज्यपाल सम्बन्धित राज्य के चुनाव आयुक्त को कर्मचारी उपलब्ध कराएगा।

अनुच्छेद – 243(K)(4)

  • राज्य विधान मंडल, पंचायत निर्वाचन से सम्बन्धी सभी विषयों पर नियम और कानून बना सकता हैं।

अनुच्छेद – 243(O)

  • राज्य द्वारा अनुच्छेद – 243(K)(4) के तहत निर्वाचन/परिसीमन के सम्बन्ध में बनाई गये किसी कानून अथवा नियम को न्यायलय में चुनौती नहीं दी जा सकती हैं। लेकिन फिर भी विशेष परिस्थितियों में राज्य विधान मंडल के कानून को न्यायलय में चुनौती दी जा सकती हैं।

अनुच्छेद – 243(ZA)

  • नगर निकायों का चुनाव भी राज्य निर्वाचन आयुक्त ही संचालित और निर्देशित करेगा।

शक्तियाँ तथा कार्य

  • पंचायत एवं नगर निकायों के निर्वाचन की तिथियों का निर्धारण और अधिसूचना जारी करना।
  • चुनावों के लिए निर्वाचक नामावली तैयार करना।
  • चुनावों के समय आदर्श आचार संहिता बनाना और इसे लागु करना तथा साथ इसका पालन करवाना भी राज्य निर्वाचन आयोग की जिम्मेदारी होती हैं।
  • चुनाव के लिए उम्मीदवारों का नामांकन पत्र भरना और इसका परिक्षण करना।
  • प्रत्याशियों को चुनाव-चिन्ह आवंटित करना।
  • किसी भी धांधली और बूथ कैप्चरिंग की परिस्तिथि में निर्वाचनों को रद्द करना भी राज्य चुनाव आयोग की शक्ति हैं।

मध्यप्रदेश निर्वाचन आयोग का गठन

मध्यप्रदेश निर्वाचन आयोग

देश में सबसे पहले पंचायतीराज को लागु करने वाला राज्य मध्यप्रदेश हैं। इसका गठन 1 फरवरी 1994 को अनुच्छेद – 243(K) के आधार पर किया गया था। यह एक संवैधानिक निकाय हैं क्योंकि इसका गठन संविधान के अनुच्छेद – 243(K) के अनुसार किया गया हैं। यह राज्य में पंचायतीराज के चुनाव निष्पक्ष और स्वतंत्र रूप से कराने के लिए जिम्मेदार निकाय हैं। यह प्रकृति में एक अर्द्ध न्यायिक निकाय भी हैं।

मध्यप्रदेश निर्वाचन आयोग का ध्येय वाक्य – हर वोट कीमती, हर निकाय महत्वपूर्ण

इसका मुख्यालय निर्वाचन भवन, भोपाल में स्थित हैं। इसका शिलान्यास  12 जनवरी 1995 को राष्ट्रपति शंकर दयाल शर्मा द्वारा किया गया था। और इसका उद्घाटन 01 नवम्बर 1997 को तत्कालीन राज्यपाल मोहम्मद शफी कुरैशी ने किया था।

  • एन.बी. लोहन (15/02/1994 – 16/02/2000) मध्यप्रदेश के प्रथम निर्वाचन आयुक्त थे।
  • देश में पंचायत और नगर निकायों के चुनाव करवाने वाला पहला राज्य मध्यप्रदेश हैं।
  • मप्र चुनाव आयोग द्वारा ‘चुनाव एप्प’ भी बनाया गया हैं।
  • चुनाव आयुक्त को राज्य की संचित निधि से वेतन दिया जाता हैं।
  • मध्यप्रदेश निर्वाचन आयोग को ई-गवर्नेंस अवार्ड ऑफ़ एक्सीलेंस से 2015-2017 में सम्मानित किया गया।

अभी तक कोई भी महिला मध्यप्रदेश निर्वाचन आयोग की निर्वाचन आयुक्त नहीं बनी हैं। इसके पहले सचिव प्रकाश चन्द्र थे और प्रथम महिला सचिव श्री मति विजय श्री वास्तव थी। मध्यप्रदेश चुनाव आयोग के वर्तमान सचिव बीएस जामोद हैं। अभी तक मध्यप्रदेश चुनाव आयोग की 4 महिला सचिव रह चुकी हैं।

राज्य निर्वाचन आयुक्त पीडीऍफ़ (मध्य प्रदेश राज्य निर्वाचन आयुक्त List)

MP Election Commissioner

आपको बता दें कि पंचायत चुनाव के लिए मतदाता परिचय पत्र केन्द्रीय निर्वाचन आयोग द्वारा जारी किया जाता हैं और प्रत्येक वर्ष 1 जनवरी को आयोग मतदाता सूची को अपडेट करता हैं। पंचायत और नगर निकायों के निर्वाचनों की अधिसूचना राज्यपाल जारी करता हैं. लेकिन निर्वाचन की तारीखों की घोषणा राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा की जाती हैं।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

प्रश्न – 01. मध्य प्रदेश राज्य चुनाव आयुक्त का कार्यकाल कितना है?

उत्तर- 06 वर्ष या 62 वर्ष (जो भी पहले हो)

प्रश्न – 02 राज्य के चुनाव आयुक्त की नियुक्ति कौन करता है?

उत्तर – राज्य के चुनाव आयुक्त की नियुक्ति अनुच्छेद – 243(K)(1)  के तहत राज्यपाल द्वारा की जाती हैं।

प्रश्न – 03. मध्य प्रदेश राज्य चुनाव आयोग कब अस्तित्व में आया?

उत्तर – 01 फरवरी 1994

प्रश्न – 04. भारतीय निर्वाचन आयोग में कितने सदस्य होते हैं?

उत्तर – 3, भारतीय निर्वाचन आयोग में एक मुख्य निर्वाचन आयुक्त और दो अन्य निर्वाचन आयुक्त होते हैं।

Leave a Comment

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.